उच्च गेहूं की उपज देने वाली किस्में किसानों को मालामाल कर सकती हैं। वैसे तो 100 क्विंटल से ज़्यादा की पैदावार देने वाली किस्में भी मौजूद हैं, लेकिन आज हम आपको 4 ऐसी गेहूं की किस्मों के बारे में बताएँगे जो 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से ज़्यादा उपज देती हैं और जल्दी पकने वाली भी हैं।
इन किस्मों को लगाकर भारत के उन सभी राज्यों में गेहूं का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है जहाँ गेहूं की खेती की जाती है। आइए, अब इन गेहूं की किस्मों की ख़ासियतों को विस्तार से जानते हैं:
Table of Contents
1. श्री राम 11 (Shri Ram 11) गेहूं की किस्म
श्रीराम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स के विश्व प्रसिद्ध गेहूं वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह किस्म देर से बोने के लिए सबसे उपयुक्त है। श्रीराम 11 लगभग 3 महीने (90 दिन) में पककर तैयार हो जाती है। मध्य प्रदेश के किसानों के अनुसार इस गेहूं के दाने काफ़ी चमकीले होते हैं। श्रीराम सुपर 111 एक एकड़ में 22 क्विंटल गेहूं का उत्पादन देती है। (ध्यान दें: एक हेक्टेयर लगभग 2.47 एकड़ के बराबर होता है।)
2. पूसा तेजस (Pusa Tejas) गेहूं की किस्म
यह किस्म 2019 से खेतों में उगाई जा रही है। जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय के प्रयोग में एक हेक्टेयर में 70 क्विंटल उत्पादन के बाद इसे किसानों को दिया गया था। यह गेहूं की किस्म 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है, जो किसानों के लिए बेहद फ़ायदेमंद है।
3. GW 322 गेहूं की किस्म
यह किस्म मुख्य रूप से भारत के मध्य भाग यानी मध्य प्रदेश राज्य में उगाई जाती है और लगभग 4 महीने (120 दिन) में पककर तैयार हो जाती है। गेहूं की GW 322 किस्म को भारत के अन्य राज्यों में भी उगाया जा सकता है। इसकी सिंचाई 3 से 4 बार करनी पड़ती है।
4. HD 4728 गेहूं की किस्म
यह किस्म 125-130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। पूसा मलावी के नाम से भी जानी जाने वाली HD 4728 गेहूं की कुल उपज 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (औसत) है। ज़मीन की उपजाऊ शक्ति के आधार पर HD 4728 गेहूं की खेती भारत के सभी राज्यों में की जा सकती है। इसकी सिंचाई 3 से 4 बार करनी पड़ती है।
डिस्क्लेमर: गेहूं की पैदावार मिट्टी की गुणवत्ता, सिंचाई, मौसम और बुवाई के सही समय पर निर्भर करती है। खेती शुरू करने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें।
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